यह कविता “समाज के एक व्यक्ति के द्वारा “ जो बलांगीर के निवासी हैं, के द्वारा रचित है।
भरत भूमि की पुण्य धरा पर
संकट है गहराया ।
गलवान में आकर चीन खड़ा है
ओर सारे भारत में पड़ रही कोरोना
की छाया ।।
पर भारत धधकती ज्वाला है
इस ज्वाला में ये दोनों भस्म हो जाएंगे ।
अपने बीस वीर शहीदों को
हम कभी नहीं बिसराएंगे ।।
आक्साई चीन जो कभी
अक्षय भारत कहलाता था ।
इन्हीं सब क्षेत्र मिलकर हीं तो
भारत का शीश मुकुट बन पाता था ।।
हमें आक्साई चीन भी लेना है
भारत मां का मुकुट सजाने को ।
हमने अपनी कमर कस ली है
अपना पौरुष दिखलाने को ।।
अपने देश के रणबांकुरे
रणभेरी हैं बजा रहे ।
दुश्मन की छाती पर चढ़ने को
ये सभी अकुला रहे ।।
चीनी सामानों का बहिष्कार कर
हम अपना जलवा दिखलाएंगे ।
हम कभी छेड़ छाड़ नहीं करते
पर कोई हमें छेड़े तो ,
उसको सबक सिखाएंगे ।।
वीर भूमि भारत माता है
भारत जननी बहुत महान है ।
भारत माता की सेवा के खातिर
यहां तत्पर हर सन्तान है ।।
दुश्मन कान खोल कर सुन ले
सीमा पर लक्ष्मण रेखा है खिची हुई ।
पार न करना लक्ष्मण रेखा
वरना समझो लाशें तेरी है बिछी हुई ।।
जय प्रकाश अग्रवाल
बलांगीर