||शादी के लिए 25 से ज्यादा उम्र का ना होने दें ||
बिखरते परिवार , टूटता समाज और दम तोड़ते रिश्ते इस तथ्य को थोड़ा गहराई से पढिये
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(सन् १५८८ में अपने पूर्वजों के नारनौल से गया ” बिहार” आने के पहले का अग्रवंश का संक्षिप्त इतिहास )
अग्रसेन –अग्रोहा — अग्रवाल
यह कविता “समाज के एक व्यक्ति के द्वारा “ जो बलांगीर के निवासी हैं, के द्वारा रचित है। भरत भूमि की पुण्य धरा परसंकट है गहराया ।गलवान में आकर चीन खड़ा हैओर सारे भारत में पड़ रही कोरोनाकी छाया ।। पर भारत धधकती ज्वाला हैइस ज्वाला में ये दोनों भस्म हो जाएंगे ।अपने बीस वीर शहीदों
यह कविता “नारनौलिय अग्रवाल समाज के एक व्यक्ति के द्वारा रचित है। “ बन्धु आज कुछ बात करेंबातें हम मिलकर साथ करेंआओ कुछ संकल्प करेंकुछ और नया इतिहास गढ़ें ।। तुम अग्रसेन के वंशज होअग्र हीं नहीं तुम अग्रज हो ।अग्र योद्धा तुम अग्र वीरअग्रसेन के सुत प्रवीर । कुछ करके तुम्हें दिखाना हैआगे हीं
अग्रवंश के वीर सपूतों Read More »
यह कविता “नारनौलिय अग्रवाल समाज के एक व्यक्ति के द्वारा रचित है।” सावन का महीना आया है , क्याशंभु तीसरा नेत्र अब खोलेंगे ।सीमा पर चीन जो आकर बैठा हैभस्म उसे अब कर देंगे ।। नापाक पाक की गर्दन मरोड़पटखनी उसे हम दे देंगे ।इमरान जीनपिंग की जोड़ी कोअब नहीं हम छोड़ेंगे ।। करके धुआंधार
महाराजा अग्रसेन एक पौराणिक समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष, राम राज्य के समर्थक एवं महादानी थे। वे अग्रोहा गणराज्य के महाराजा थे। पितावल्लभसेन एवं माता भगवती देवी थी । विवाहसमयानुसार युवावस्था में उन्हें राजा नागराज की कन्या राजकुमारी माधवी के स्वयंवर में शामिल होने का न्योता मिला। उस स्वयंवर में दूर-दूर से अनेक राजा और
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