“तीन पहर”
तीन पहर तो बीत गये,बस एक पहर ही बाकी है।जीवन हाथों से फिसल गया,बस खाली मुट्ठी बाकी है।सब कुछ पाया इस जीवन में,फिर भी इच्छाएं बाकी हैं।दुनिया से हमने क्या पाया,यह लेखा जोखा बहुत हुआ,इस जग ने हमसे क्या पाया,बस […]
तीन पहर तो बीत गये,बस एक पहर ही बाकी है।जीवन हाथों से फिसल गया,बस खाली मुट्ठी बाकी है।सब कुछ पाया इस जीवन में,फिर भी इच्छाएं बाकी हैं।दुनिया से हमने क्या पाया,यह लेखा जोखा बहुत हुआ,इस जग ने हमसे क्या पाया,बस […]
यह कविता “समाज के एक व्यक्ति के द्वारा “ जो बलांगीर के निवासी हैं, के द्वारा रचित है। भरत भूमि की पुण्य धरा परसंकट है गहराया ।गलवान में आकर चीन खड़ा हैओर सारे भारत में पड़ रही कोरोनाकी छाया ।। पर
धधकती ज्वाला Read full Article »
यह कविता “नारनौलिय अग्रवाल समाज के एक व्यक्ति के द्वारा रचित है। “ बन्धु आज कुछ बात करेंबातें हम मिलकर साथ करेंआओ कुछ संकल्प करेंकुछ और नया इतिहास गढ़ें ।। तुम अग्रसेन के वंशज होअग्र हीं नहीं तुम अग्रज हो
अग्रवंश के वीर सपूतों Read full Article »
यह कविता “नारनौलिय अग्रवाल समाज के एक व्यक्ति के द्वारा रचित है।” सावन का महीना आया है , क्याशंभु तीसरा नेत्र अब खोलेंगे ।सीमा पर चीन जो आकर बैठा हैभस्म उसे अब कर देंगे ।। नापाक पाक की गर्दन मरोड़पटखनी
सावन का महीना Read full Article »